मिल-बैठ सुनें ज़रा आओ ,मौसम की आहट |
ठण्डे हैं पड़ गए रिश्ते ,भर दें गरमाहट |
मौका है चलो दें निकाल ,कटुता की कीलें |
आओ यारा एक कप चाय ,साथ-साथ पी लें ||
फिर से इशारों में खेलें ,प्यार वाला खेल |
जो कुछ भी मन में है दबा ,सब कुछ दें उड़ेल |
मन से हो मन का संवाद ,होंठों को सी लें |
आओ यारा एक कप चाय ,साथ-साथ पी लें ||
जितने भी हैं शिकवे-गिले ,बिसरायें सारे |
होली के आँचल में मिलकर ,टाँक दें सितारे |
मस्ती में चूर रंगीन सुबह ,जी भर के जी लें |
आओ यारा एक कप चाय ,साथ-साथ पी लें ||