नारी हूँ मै कभी ना हारी हूँ मै,
गंगा मैं हूँ,मै हूँ मेनका,दामिनी भी मैं हूँ,
यमराज से छीनकर लायी प्राण वो सावित्री भी मैं हूँ,
रूप है अनेक मेरे कर्म भी अनेक है,
यूँ ही नही लोग कहते,
शक्ति के बिना शिव भी अधूरे है,
या देवी सर्व भुतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता
नमस्तशैय् नमस्तशैय् नमो नम:
नारी हु मैं कभी ना हारी हु मैं…..
प्यार से दुलारती,मैं जिंदगी संवारती,
बनके दुर्गा खड्ग लेके दुश्मनको संहारती,
अबला कहके करोना अपमान तुम,
नारी का हर रूपमे करो सन्मान तुम,
नारी हु मैं कभी ना हारी हु मैं……
ईश्वर को भी जन्म लेना पड़ता है मेरी कोख से,
मेरा दूध पीके मुक्त नही होता वो भी मेरे ऋण से,
प्रलय और निर्माण पलते है मेरी गोद में,
इसीलिए देव का स्थान दिया है मुझे शास्त्र में
मातृदेवो भव: मातृदेवो भव:
वंदन करे आज हम उन्हें पुरे दिलसे
नारी का सन्मान करे हम गर्व से।
-जिगर बुंदेला