महोब्बत में हमारा न कोई आधार है,
इसलिए हम आज तक निराधार है,
न आंधी उठी है न तूफान उठा है,
प्यार की कश्ती तो हमेशा मझधार है,
न तस्वीर, न खत, न कोई निशानी है,
आपकी यादों में आँसू अनराधार है,
तक़दीर का तो इसमें कोई दोष नही,
बस हमारा तो वक़्त ही धुंआधार है,
न दर्द का पता है न दवा में असर है,
दुआओं से ही तो हालात में सुधार है,
न मैं गुनहगार हूँ न तू जिम्मेदार है,
इस जुर्म के हम दोनों ही सूत्रधार है,
प्यार, इश्क़, महोब्बत और कुछ नही,
"पागल" यही तो तलवार की धार है।
✍?"पागल"✍?