जहाँ में हर महिला सम्मान की हकदार है,
दुनिया में हर इंसान अपनी माँ का कर्जदार है।
महिला का हर वक़्त अलग अलग रूप है,
हर रूप का अपना अलग अलग किरदार है।
महिला के बगैर तो खुदा भी जहाँ न सोचता,
खुदा ने महिला को बनाया ही इतना दमदार है।
महिलाओं ने ही ईंट और रेत से बने मकान को,
मेहनत से सजा कर बनाया रहने लायक दार है।
महिला को अबला समझना मर्द की बड़ी गलती है
आज कल की महिला खुद भी बहुत बे दार है।
महिला हर कोई रूप में ज़िन्दगी में शामिल हैं,
"पागल" महिलाएं अपने आप में बहुत खुद्दार है।
✍?"पागल"✍?
दार - घर
बे दार - जागृत / चौकन्ना
खुद्दार - स्वाभिमान