ये ग़ज़ल में मतले का शेर किसी अज्ञात शायर का है
देखा ना कोहकन कोई फरहाद के बगैर,
आता नहीं है फन कोई उस्ताद के बगैर,
इंसान कितना भी काबिल क्यों ना हो,
ज़िन्दगी कुछ भी नहीं कोई इमदाद के बगैर,
बचपन ही ज़िन्दगी का अनमोल तोहफा है,
बचपन कटता नहीं कोई उन्माद के बगैर,
जहाँ में हर किसी के हाथ मे कासा है,
भिखारी है हर कोई जायदाद के बगैर,
महफ़िल रौनक भी है और अकेलापन भी,
"पागल" नहीं सुनाता कोई इरशाद के बगैर।
✍?"पागल"✍?
कोहकन - पहाड़ खोदने वाला
फन - हुनर / कला
उस्ताद - शिक्षक / अध्यापक
काबिल - योग्य / लायक
इमदाद - मदद / सहायता
तोहफा - भेंट / उपहार
उन्माद - पागलपन / जुनून
कासा - मांगने का कटोरा / भिक्षा पात्र
जायदाद - संपति / मिलकत
इरशाद - आदेश