एक प्याला चाय
कुछ रुई से मुलायम बादल
पहाड़ों में रुकी बारिश सी तन्हाई
सुदूर वादियों में अलसाता हुआ सूरज
कानो को छूती ठंडी हवा से तेरे ख्याल
सर्द खुश्की में सुर्ख गाल
पैरों में गुदगुदी करती चीटियाँ
कुछ खोया हुआ मैं
सूजी आँखों से वो मसूरी की नमकीन सुबह
और गुनगुनाती तेरी यादों सा चाय का चढ़ता नशा