कम से कम एक
दो आदमी थे। वे दोनों दुनिया के किन्हीं अलग अलग हिस्सों में रहते थे।
उनमें से एक आदमी अपने सभी काम अपने हाथ से करना पसंद करता था। वो अपना भोजन तैयार करता, सफ़ाई करता, कपड़े धोने का काम करता, अपने बगीचे की देखभाल करता, अपनी गाड़ी चलाता और उसकी देख रेख़ करता, अपने अन्य यंत्रों की देखभाल करता, हेयर कटिंग वगैरह करता।वह कभी कभी इन कामों में घर के दूसरे लोगों की मदद भी लेता, मगर इस तरह, जैसे वो उन्हें काम सिखाना चाहता हो। यदि उसे किसी काम में कोई अड़चन आती तो वो किताबों, इंटरनेट आदि से जान कर उसे दूर करने की कोशिश करता।
दूसरा आदमी अपना कोई भी काम खुद करना पसंद नहीं करता था। वह चाहता था कि जब वह नहाए तो तो कोई उसे बताए कि साबुन तौलिया आदि कहां हैं, और जब वह नहा कर आ जाए तो कपड़े प्रसाधन आदि का सामान उसे पकड़ाए। वह चाहता था कि कोई उसका भोजन बनाए, उसे परोसे और खा लेने पर उसके सामने से बर्तन आदि हटा ले। उसे लगता कि गाड़ी साफ़ करने को नौकर और चलाने को शोफर हो। बगीचे में माली हो, बाल काटने को सैलून हो, कपड़े धोने को धोबी हो। यदि उसे किसी तरह की कोई अड़चन अाए तो वो किसी को भी दोषी ठहरा कर डांट सके।
हमें गर्व है कि इन दोनों आदमियों में से एक "भारतीय" भी था।