जब तक जिये ज़िन्दगी का गीत ही गाया है
मृत्यु आज खुश है उसने अटल को पाया है।
शीश चढ़ाकर सदा सपूतों
ने माटी का कर्ज चुकाया
भेंट चढ़ा निज पति-पुत्रों को
महिलाओं ने फर्ज निभाया।
उसकी जान अपने देश में बसती थी
इसलिए प्यार के इस पावन अवसर पर
उन्होंने भी अपनी आशिकी निभा ली
धन , दौलत एश-ओ-आराम छोड़ कर
वो सरहद चुनीं ,
और जान की बाजी लगा ली...
-आज देश की फिजायें मुझे मारने को आ रही हैं
न जाने कितनी मांओं की चीखे मेरे कानों मे आ रही हैं
नमन वीर शहीदों को,
कुर्बान हुए जो माटी पर..
आँखे उनकी निकालेंगे,
नज़रें हैं जिनकी घाटी पर..
भारत माता के वीर सपूतो और हमारे सरहद की रक्षा करने वाले अपने कई रातो जाग के हमारे आँखों में नींद भरने वाले उन वीर बंधुओ को नमन।
नमन के साथ भावपूर्ण और अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि ।।।
जय हिन्द।।
जय भारत।।
-