#AJ #MATRUBHARTI
खफा हूं में इसकदर ए जिंदगी तुझसे,
तू हे तो भी क्या ! तू नहीं तो भी क्या !
हा हसता रहता हूं आजकल अकेले में,
पागल नहीं हूं ! चल रो दू तो भी क्या !
बेशक फर्क नहीं पड़ता अब जमानेसे,
पत्थर नहीं हूं, पर बन जाऊ तो भी क्या !
नासूर बन चुका है दर्द मेरे जख्म का !
खुरेद लो ! अब भर ना पाऊं तो भी क्या !
आदत हो गई हैं मुझे ऐसे तन्हा जीनेंकी,
तू हे तो भी क्या ! तू नहीं तो भी क्या !
मिलन लाड. वलसाड, किल्ला पारडी।