✍️कविता
इस दुनिया में कौन आजाद है..
सब की डोर एक दूजे के हाथ है।
आजाद तो वह भी नहीं..
जो नभ में उड़ते परिंदे हैं।
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होना चाहते हो आजाद..
जीना चाहते हो स्वयं को,
या भागना चाहते हो.....
अपनी जिम्मेदारियों से।
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ये तप, जप, साधना..
ये खोज अमरतत्व की।
सब मात्र ढोंग है,गर,
न बांध सके मुझको (मन)।
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