गांधी
उसे चरखा और चश्मा में समेटा गया
जबकि गांधी सर्वांग-सुविचार-संदेश है
मजबूरी का नाम महात्मा गांधी,
गांधी-गिरी, गांधी-डिवीजन जैसे
मुहावरों के ज़रिए साबित किया निरापद
गांधी अय्याशियों का पर्याय नहीं
वह चाहता तो बदल सकता था
दिन में चार बार कपड़े,
करा सकता था सिंगार और फिर भी
प्रचार यही करवाता कि बीस घण्टे
व्यस्त रहता है देश-सेवा में
लेकिन गांधी एक व्यक्ति नहीं विचार है
जी हां, आप भी अपनी जगह कायम रहें
कि गोडसे व्यक्ति नहीं विचार है
आंच में पकती हैं रोटियां भी
आंच से जल जाते हैं देह भी
गर्व है कि अपने हिस्से की आंच से
मैंने सेंकी हैं रोटियां और भगाई ठंडक
तुम्हारी आंच ने देखो कैसा
मचा है भीषण अग्निकांड
अच्छा है कि हमने गांधी को देखा है
गोडसे-पूजकों से भी हम हैं वाकिफ़
गांधी मार दिए जाने के बाद भी अमर है
विडम्बना देखें कि फांसी लगने के बाद भी
गोडसे का प्रेत जिंदा है और विचर रहा
सबले बड़े लोकतंत्र के गलियारों में।।।