Gujarati Quote in Thought by Damyanti Ashani

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बाहर क्यों ढूँढते फिरे अपनापन ?
चलना... खुद से आकर रुबरु हो जाएँ !

इधरउधर क्यूँ खोजने लगे आशियाना ?
चलना... खुद के भीतर जाके बस जाएँ !

खुद से रुबरु होने मे परहेज़ कैसा ?
चलना... हँसते हुए खुद पे फिदा हो जाएँ !

देख शाखाओं पे आसन लगा है बसंती,
चलना... सुगंधित फूल बनके बैठ जाएँ !!

ये जिंदगी मे 'पूर्णविराम' को जगह नहीं ,
चलना... 'अल्पमात्रा' मे यूँही बहते जाएँ !!

~Damyanti Ashani

Gujarati Thought by Damyanti Ashani : 111083900
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