आत्मबोध
एक मकान की छत पर विचारों में तल्लीन एक व्यक्ति टहल रहा था। तभी उसके ठीक सामने कुछ दूरी पर एक बड़ा सा पत्थर तेज़ी से गिरा।
व्यक्ति ने क्रोध से तमतमा कर चिल्लाते हुए कहा - ये पत्थर यहां कौन लाया?
संयोग से उसी समय आकाश से कुछ देवदूत वहां से गुज़र रहे थे।
आवाज़ सुन कर एक देवदूत बोल पड़ा - इसे तुम्हारे पडौसी बच्चे की शरारत यहां लाई।
आदमी ने चौंक कर ऊपर देखा।
तभी दूसरा देवदूत बोल पड़ा - इसे पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति यहां लाई।
आदमी हैरान होकर कुछ कहता, इससे पहले ही तीसरा देवदूत चिल्लाया - इसे खुद तुम्हारी शरारत यहां लाई,तुम बच्चों को गली में खेलने जो नहीं देते!
ये सब सुनकर व्यक्ति गुस्से से पागल हो गया। वह उन देवदूतों को श्राप देने के अंदाज़ में बोला - तुममें से जिसकी बात भी ग़लत हो, वही ज़मीन पर आकर गिरे।
पर ज़मीन पर कोई नहीं गिरा।