"उम्मीद बाकी है अभी" : कविताएँ
विगत चार वर्षों में देश की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को बार-बार झकझोरती परिस्थितियों से कवि और कविता भी उतना ही असंतुलन का शिकार हुए हैं।
एक तरह से कह लें कि कभी हाई वोल्टेज प्रॉब्लम रही कभी लोड-शेडिंग की स्थिति।
ऐसे समय में सोशल-साइट्स में विचारों की साझेदारी ने प्रतिरोध और विकल्प की राहें तलाशी हैं।
"उम्मीद बाकी है अभी" की कविताएँ रोज़नामचा हैं इस समय का।
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