विश्व हिंदी दिवस के उलक्ष्य में कुछ विशेष करणों से 9 जनवरी को हिंदी के उत्थान हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । इसी कड़ी में रिहंद साहित्य मंच के प्रवुद्ध कवियों द्वारा काव्य पाठ किया गया । इस कार्यक्रम में आपके साथी रचनाकार लक्ष्मी नारायण पन्ना ने भी काव्य पाठ किया । यहाँ पढा गया अपना ताजातरीन मतला और एक शेर पेश करता हूँ ...
मतला.....
मादर-ए-हिन्द का सज़दा या वंदे मातरम बोलूँ ,
मैं हिंदी में पढूं कविता या उर्दू की ग़ज़ल गाऊं ।
सियासत न करे कोई हमारे घर की बोली पर ,
तमन्ना है तिरंगे में लिपट के मैं भी जल जाऊं ।।
शेर- ....मेरी ज़ुबान की पैदाइश-ए-कौम न ढूंढो यारों ।
ज़रा जज्बातों की गहराई में दर्द तलाशो मेरा ।।