हमे भी प्रेरणा लेनी चाहिए -
बर्मा देश में जो कार्य बौद्धों ने किया है वो सचमुच काबिलेतारीफ़ है... अब जैसी कि इस शांतिप्रिय मुस्लिम कौम की आदत होती है ... दुसरे धर्म के लडकियों को फंसा कर निकाह करना और फिर २० बच्चे पैदा करना ..फिर मस्जिद बना कर .. फिर मोहल्ले बसाना और फिर धीरे से मुस्लिम को राजनीती में घुसा कर देश में शासन चलाना और साथ साथ में दंगे आदि कर के वहाँ के मूलनिवासियों कि ह्त्या कर के सफाया करते रहना .... और फिर एक लम्बे समययोजना को अंजाम देते हुए उस देश को मुस्लिम देश बना देना .... तो ऐसे कर रहे थे वहाँ भी जैसा भारत में कर रहे हैं ....
लेकिन बर्मा में ये उल्टा दांव पड़ गया .. संयोग से वहाँ अपने हिन्दू बाबाओं और नेताओं की तरह झूठी एकता और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले बौद्ध तो थे ... पर बौद्धों के एक धर्मगुरु की आँख खुली थी ... जिसका नाम हैं विराथु ... और ये थोडा अलग थे ....
बौद्ध विराथु ने सीधा जंगे एलान कर दिया.... और शान्ति से नहीं....गांधीवादी मार्ग से नहीं.. बुद्ध के उपदेशों के रस्ते से नहीं ... बल्कि हिटलर के रास्ते से . .. सीधा उनकी हत्या.... उनके घरों पर हमला .और देश से बाहर पलायन करने को मजबूर करना ... इन्होने ये कहा कि अगर हमने इनको छोड़ा तो एक दिन देश मुस्लिम देश हो जायेगा.. और हम खत्म हो जायेंगे . ये इतने बच्चे पैदा करते हैं ... हमारे धर्म का अपमान करते हैं ... ये सब नहीं चलेगा ....
यहाँ पर सरकार ने सेकुलरिज्म अपनाते हुए विराथु को २५ साल की सजा सुना दी.. पर उनके जेल जाने के बाद भी देश जलता रहा ... और जब उनकी सजा घटी और १० साल बाद जेल से बाहर आये.. तो लोगों में ऐसा जोश भरा कि आज बर्मा देश मुसलमानों से खाली होने जा रहा है .... जिस मुसलमान को जिधर से भागने का मौका मिल रहा है वो भाग रहा है .. जंगल के रास्ते या समुन्द्र के रास्ते .. और उनकी जहाज को कोई भी देश अपने किनारे नहीं लगने दे रहा है ... सब जानते हैं कि ये ऐसा वायरस है जो जहां लग गया वो बर्बाद हो जायेगा .....
सयुक्त मानवाधिकार की यांग ली ने सेकुलरिज्म दिखाते हुए बर्मा का दौरा किया था तब विराथु ने की हिम्मत देखिये ... उसने उसे 'कुतिया' और 'वेश्या' कहा ... और धमकी दी " '' आपकी संयुक्त राष्ट्र में प्रतिष्ठा है, इसलिए आप अपने आप को बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति न समझ लें.''.....इसकी बहुत आलोचना भी हुयी ...
और सबसे बड़ी बात अब हमारे देश के प्रधानमंत्री और नेता के विपरीत वहाँ की राष्ट्रपति थेन सेन कह रहे हैं कि उनको अब अपना रास्ता देख लेना चाहिए . . हमारे लिए महत्वपूर्ण हमारे देश के मूलनिवासी है .... वो चाहें तो शिविरों में ही रहे ... यां बांग्लादेश जाए ....
क्या हम हिन्दुओं के लिए भी कोई ऐसा नेत्रित्व करने वाले हिंदूवादी साधू .. या नेता सामने आएगा .. ?