??क्षत्रिय??
इस भ्रम से हमको उबरना होगा कि जिसके पास ज्ञान है वह ब्राह्मण है, क्योंकि ज्ञान यानि ब्रह्म ज्ञान का बोध सर्व प्रथम क्षत्रियों को ही हुआ था........
#वासुदेव_श्रीकृष्णा ने गीता के अध्याय ४ में साफ कहा है कि सृष्टि के आरंभ में यह ज्ञान मैंने सूर्य को दिया। सूर्य ने मनु को और मनु ने इस्क्षकू को। इस प्रकार परंपरा से यह ज्ञान क्षत्रिय ऋषियों के पास था जो बहुत काल पहले नष्ट हो गया था उसे मै आज फिर तुम्हे बता देता हूँ ,इसलिए इस भ्रान्ति से उबरिये कि ज्ञान खास कर ब्रह्म ज्ञान कभी किसी ब्राह्मण के पास रहा हो।
#ब्राह्मण प्रकृति के ज्ञाता थे और कर्म कांड के द्वारा प्रक्रितक शोध किया करते थे तथा नयी नयी खोज करना उनका मुख्य कार्य था ,लेकिन “आत्म ज्ञान ” यानि ब्रह्म ज्ञान कभी भी ब्राह्मणों का विषय और लक्ष्य नहीं रहा ,,,,यह ज्ञान सदैव से ही क्षत्रियो का क्षेत्र रहा है ,,,,
ज्ञात इतिहास में किसी ब्राह्मण को आज तक मोक्ष नहीं मिला जबकि ब्रह्मर्षि विश्वामित्र क्षत्रिय ,महाराज दशरथ ,पितामह भीष्म, महाराज रंतिदेव, युधिष्ठर, महाराज हरिचन्द्र और मीराबाई ने जीते जी मोक्ष प्राप्त की है ,,,,,,,
युद्ध लड़ने या सेना में कार्य करने से यदि क्षत्रिय हो जाते है तो फिर कृपया बताये कि राजा बलि ,सभी दैत्य कुलीन ब्राह्मण (कश्यप और दिति के वंशज) ,पुलस्त्य ऋषि के वंशज रावण ,कुम्भकरण ,विभीषण आदि,,,
वानर आदिवासी जाति के ,महाराज बाली ,सुग्रीव,अंगद और महावीर हनुमान जी आदि ,,,,,
शूद्र नन्द वंशी सम्राट ,,,ब्राहमण रावहेमू ,,महाराणा के सेना नायको में वैश्य भामाशाह ,,,
यह सभी क्या क्षत्रिय कहलाते है या कहे जाने चाहिए,,,,,,,,,
लडाई लड़ने की आवश्यकता या प्रमुखता क्षत्रिय के ७ गुणों में कहीं पर भी नहीं है,, हां संघर्ष यदि आपदे तो उससे पीछे नहीं हटाना चाहिए यह क्षत्रिय का ५ वां गुण है ,,,,,,,
यदि राज्य करने और लडाई लड़ने वालो को क्षत्रिय मान लिया जाये तब तो सारे मुसलमानों को क्षत्रिय का दर्जा मिल गया होता इसलिए भ्रम पैदा मत कीजिये,,,,,,
#अर्जुन का वाक्य सुनिए ” राज्य मिल जाने और युद्ध लड़ने से कोई क्षत्रिय नहीं हो जाता क्षत्रिय बनने के लिए क्षत्राणी की कोख से जन्म लेने के साथ ही जीवन भर क्षात्र-धर्म की तपस्या पर तपना पड़ता है” ,,,,,
??“जय क्षात्र-धर्म”??