Part-1:-
कुछ बाकी रखता हूं कुछ लिख देता हूं...
राजनीति के पकौड़े में_ पानी में ही तल देता हूं,
सरकार चाहे जिसकी हो_ जनता की होगी नहीं,
बेईमानी के इस बाज़ार को में _ईमानदारी से कह देता हूं,
कुछ बाकी रखता हूं कुछ लिख देता हूं...
वहीं पुराने वादो की लिस्ट उठा कर लायेंगे,
कुछ नए से अंदाज़ में फिर तुमको दोहराएंगे,
आज हाथ जोड़े खड़े है जो _में एक तस्वीर रख लेता हूं,
शहर में कल से होंगे ना_ सच में थोड़ा कह देता हूं,
कुछ बाकी रखता हूं कुछ में लिख देता हूं...
लोकनीति का झांसा देकर_ सिर्फ राजनीति अब होती हैं,
सत्ता में आने के बाद सरकारें सब सोती है,
अब तक देखा है सरकारों को_ चोर - चोर खुद ही खेला करती हैं,
इनके बड़े बड़े घोटालों को_जनता ही झेला करती हैं,
कुछ कमी तो हममें भी है जो में कह देता हूं,
कुछ बाकी रखता हूं कुछ में लिख देता हूं....
उस संसद के मंदिर में भी मतलब की बात होती हैं,
विकास को छोड़कर_ सिर्फ आरोपों की बरसात होती हैं,
देख लिया हमने अब तक लालच रिश्वत लेकर भी_
अब भी ना समझे हम_तो कुछ भी ना पाएंगे,
फिर से जाकर झूठे वादो पर_ सिर्फ तालिया ही बजाएंगे,
सोचो सरकारें तुमको क्या देगी_ये देश तुमसे चलता है,
ये मेरे हिंदुस्तान के लोगो_ये देश तुमसे बनता है,
जिम्मेदारी ले लो अब तुम देश को बचाने की,
धर्म जाति को छोड़कर_ इसे आगे बढ़ाने की,
गुस्ताख़ी हो तो क्षमा करना _हाथ जोड़ कह देता हूं,
कुछ सच में लिख देता हूं_ कुछ बाकी रहने देता हूं,...
कुछ बाकी रखता हूं कुछ में लिख देता हूं.....
जय हिन्द_जय भारत
,✍️By - Satyendra Kumar
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-- Sattu
मातृभारती के माध्यम से साझा किया.. https://www.matrubharti.com/bites/111071285