तोताचश्म दुनिया (लघुकथा)
एक बार एक आदमी को स्वप्न में एक तोता दिखा।
खास बात ये थी कि तोता बोलता था और वह बात कर रहा था। बात भी आम तोतों की तरह नहीं कि बस जो सुना उसे दोहरा दिया,बाकायदा वह तोता अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग कर रहा था और प्रभावशाली मौलिक बातें कर रहा था।
उसने आदमी को प्रस्ताव दिया कि वह उससे कुछ मांग ले, क्योंकि वह तोता उस आदमी को मनचाही मुराद देने में सक्षम है।
आदमी ने अवसर का लाभ उठाना श्रेयस्कर समझा।
उसने तोते से कहा कि वह लगातार अंतरिक्ष में घूम कर धरती को देखते रहना चाहता है।
तोते ने कुछ सोचकर उससे पूछा - वह ऐसा कितनी देर के लिए करना चाहेगा?
आदमी ने कहा- अनंत काल तक।
अचानक तोते की जिज्ञासा बढ़ी, वह बोला - ठीक है, मैं तथास्तु कहूंगा और ऐसा हो जाएगा। किन्तु पहले मैं ज़रा ये जानना चाहता हूं कि आख़िर तुम धरती में ऐसा क्या देखना चाहते हो जो तुम्हें अंतरिक्ष से ही दिखाई देगा!
आदमी बोला - मैं एक चरवाहा हूं।जब मेरी बकरियां चरती चरती इधर उधर निकल जाती हैं तो उन्हें ढूंढने में मुझे बड़ी परेशानी होती है।
तोता बोला - ओह,ये आसान है,पर मुझे लगता है कि तुम इस अवसर को खो दोगे।
आदमी मायूसी से बोला - लेकिन क्यों?
तोते ने कहा - अभी तुम नींद में हो,नींद से जागते ही तुम मेरी शक्ति का प्रताप खो दोगे।अभी तो तुम्हारी बकरियां तुम्हारे बाड़े में ही बंधी हैं, तुम्हारे जागते वक़्त ये न जाने कहां हों! क्या तुम अनंतकाल तक सोते रहना चाहोगे?
आदमी की नींद और तोता, दोनों उड़ चुके थे।