हज़ारों दर्द के तूफान से हँस कर गुज़र जाते,
तुम हौसला देते तो हम क्या कुछ न कर जाते,
आजमाइस को हमारे रोज़ ये तूफान परखता है,
नही हम जानते लड़ना तो जाने कब के मर जाते,
पता क्या पूछना था शहर में मेरे नशेमन का,
जहाँ पे ज़ोर से बिजली चमकती थी ठहर जाते,
कभी फुरसत तो दे ए ज़िन्दगी इतने मसाइल से,
ज़रा सी देर की खातिर सही हम भी तो घर जाते,
छुपाए फिरते है हम ऐसे भी कुछ दाग सीने में,
जो थे एहसास इतने के दिखाने में उभर जाते,
न था मंज़ूर "पागल" को बुलंदी से उतर आना,
मगर वो प्यार से कहते तो कदमों में बिखर जाते।
✍?"पागल"✍?