खुशी ने मुझको ठुकराया है रंज-ओ-ग़म ने पाला है,
गुलों ने बेरुखी की है तो काँटों ने संभाला है,
महोब्बत में खयाल-ए-साहिल-ओ-मंज़िल है नादानी,
जो इन राहों में लूट जाये वही तक़दीर वाला है,
चरागां कर के दिल बहला रहे हो क्या जहाँ वालो,
अंधेरा लाख रौशन हो उजाला फिर उजाला है,
किनारों से मुझे एय नाखुदा दूर ही रखना,
वहाँ लेकर चलो तूफां जहाँ से उठने वाला है,
नशेमन के लूट जाने का ग़म होता तो क्या ग़म था,
यहाँ तो बचने वालों ने गुलाशन बेच डाला है।
✍?"पागल"✍?