ज़ख्मों को आपके नश्तर से सिये है हम,
क्या क्या कहें की कैसे कैसे जिये है हम,
मस्ती है क्या की खूब आपका है शुक्रिया,
क्या दर्द दिया कैसे कैसे दिये है ग़म,
आँखों के छलकते हुवे मय का असर है,
तौबा कोई गुनाह नहीं वैसे किये है हम,
दो दिल ना मिले गुज़रे क़यामत से अभी तक,
कितनी ही बार अब तलक तब से लिया है जनम,
मैखाने में आओ मगर प्याला ना छुओगे,
क्या बात हुई साक़ी ने ऐसे दि है कसम,
सुनते थे "पागल" दिल पे तेरे मज़बूत है पहरा,
ज़रा सी बात पर फिसल कैसे गये कदम।
✍?"पागल"✍?