तू नहीं दिल में मगर...... तेरा निशाँ बाकी है,
बुझ गई आग... मोहब्बत का धुआँ बाकी है,

मेरा विशवास मौहब्बत से... नहीं उठ सकता,
जब तलक शहर में... फूलों की दुकाँ बाकी है,

जिस जगह हमने... कलेन्डर में जुदाई लिखी,
इक मुलाक़ात की तारीख........ वहां बाकी है.

मैं तेरे बेवफा होने से परेशान नहीं "साहिब"
दिल लगाने को अभी सारा जहान बाकी है !!

Hindi Romance by Vishal : 111064196
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