क्योंकि तुम मेरे हो
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उस मधुर एहसास को जी लेती हूं
तुम्हारी आँखों में खुद को पा कर।
आत्मसात कर लेती हूँ हर पल
हरदम तुम्हें अपने करीब पा कर।
क्योंकि मै जानती हूं तुम मेरे हो
हर कदम पर साथ चलते हो
मेरी अपनी परछाई की तरह।
जिंदगी की धूप को हटाते हो
बन कर घनी छांव की तरह
हाँ मैं जानती हूं तुम मेरे हो...
बिना शर्त चाहते हो मुझे ही
बिल्कुल मेरी पहचान की तरह
चमकते हो माथे पर ऐसे ही
आसमान में चमकते चाँद की तरह।
क्योंकि तुम सिर्फ मेरे हो.....
पथरीली राहों में तुम रहते हो
मखमली कालीन की तरह
महसूस करती हूं हर पूजा मे
तुम्हें अपने भगवान की तरह।
क्योंकि तुम मेरे हो हाँ मेरे
जीवन में मेरे सौभाग्य की तरह
मेरा वजूद है ही नही बिन तेरे
बसे हो तन मे मेरी साँसों की तरह।
क्योंकि तुम मेरे हो...
दिव्या राकेश शर्मा
देहरादून