यूं ही चले आना तुम मुझसे मिलने
जैसे सुरजकी किरने आ जाती हैं
में सो रही होती हूं तबभी जाग जाती हूं।
तुमभी यूहीं चले आना मुजसे मिलने
जैसे ठंडी हवाकी एक लहर दौड़ आती है
मेरे आंचल को छुके लौट जाती है।
तुमभी आजाना वैसे ही जैसे
वो नन्ही चिड़िया आ जाती है
खिड़की से पुकार कर मुझे बुला लेती है।
यूहीं चले आओना तुमभी मूजसे मिलने
जैसे ये काले घने बादल चले आते है
तेज धूपसे मुझे चाहे पलभर ही बचा जाते हैं।
तुमभी चले आओ ना यूहीं मुझसे मिलने
जैसे यूहीं कभी कभी एक मुस्कान चली आती है
मेरे चहेरे पर, बिना किसी वजह के।
तुम्हे मुज तक आनेके लिए किससे पूछना होगा?
रुको मत, सोचो मत बस अपने दिलकी सुनो
खुशियां भी क्या कभी पूछ कर दस्तक देती हैं!
©Niyatikapadia