Hindi Quote in Story by Prabodh Kumar Govil

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चींटी मुंह लटका कर उदास बैठी थी। सहेली मिलने आई तो हैरान रह गई, बोली- क्या हुआ?
चींटी ने बताया कि वह सुबह- सुबह एक कुश्ती के अखाड़े में चली गई। एक मोटा पहलवान अपने प्रतिद्वंदी से कह रहा था- अा, चींटी की तरह मसल दूंगा तुझे ! अब भला बताओ, ये कोई बात हुई? अपनी लड़ाई में हमारा मज़ाक क्यों?
सहेली बोली-इतनी सी बात? चल जाने दे। कल मेरा जन्मदिन है, मैं तो तुझे बुलाने आई थी।
चींटी की आंखों में चमक अा गई। बोली - तुझे एक बात कहूं, मानेगी? चल अपन इस बार तेरी पार्टी में हाथी को भी बुलाते हैं।
सहेली बोली- पर उसे खिलाएंगे क्या? और पार्टी घर की जगह मैदान में रखनी होगी।
चींटी बोली- अरे कोई पहाड़ थोड़े ही खाएगा, गन्ने ही तो खाता है, मैं शक्कर का एक गोदाम जानती हूं, रात भर में हम सब मिल कर चीनी का ढेर लगा देंगे।
ऐसा ही हुआ। हज़ारों चीटियां शक्कर के दाने ला लाकर इकट्ठे करने लगीं। हाथी को न्यौता दे दिया गया।
हाथी पार्टी में चींटियों से घिरा हुआ शक्कर का आनंद ले ही रहा था कि उसकी मां उसे ढूंढ़ती हुई चली आई। वहां उसे देख कर बोली- तू बिना बताए कहां चला गया था बेटा। ऐसे अकेले नहीं जाते कहीं, चींटियों से सीख समूह में रहना !
हाथी के जाते ही सहेली चींटी से बोली- देखा,सब मोटे मोटी अक्ल के नहीं होते।
-प्रबोध कुमार गोविल
B 301, मंगलम जाग्रति रेसीडेंसी,447, कृपलानी मार्ग, आदर्श नगर, जयपुर- 302004(राजस्थान) मो 9414028938

Hindi Story by Prabodh Kumar Govil : 111054731
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