भारत के सौंदर्य जगत ने फ़िल्म उद्योग को कई अभिनेत्रियां दी हैं। सुष्मिता सेन, ऐश्वर्या राय, लारा दत्ता, दिया मिर्ज़ा, नेहा धूपिया, प्रियंका चोपड़ा, युक्ता मुखी, ज़ीनत अमान आदि ने फ़िल्मों में पदार्पण किया। इनमें सफ़लता की बात करें, तब भी एक भव्य चित्र हमारे सामने उभरता है।
प्रियंका चोपड़ा ने जहां बेहतरीन विविधतापूर्ण फ़िल्मों के साथ - साथ विश्व सिनेमा में जो नाम कमाया है वह बेमिसाल है।
ज़ीनत अमान ने तो एकाएक फ़िल्म जगत में आकर जैसे तहलका ही मचा डाला था। एक समय था जब हर बड़ा निर्माता या तो उनके साथ काम कर रहा था या उन्हें साइन करने की चाहत रखता था।
ऐश्वर्या राय ने भी चोटी पर पहुंच कर कई बेहतरीन फिल्में दीं।
इन खूबसूरत चेहरों ने 70 के दशक में एकाएक उभरी उस धारणा को लगभग मिटा ही डाला कि सफलता के लिए सुन्दर चेहरा नहीं, दमदार अभिनय चाहिए।
सत्तर के दशक की यह धारणा रेहाना सुलतान, राधा सलूजा, स्मिता पाटिल, विद्या सिन्हा, शबाना आज़मी, सुमिता सान्याल, जाहिदा, जाहिरा जैसी अभिनेत्रियों की एक बाढ़ सी लाई थी। इनमें से कुछ फ़िल्म इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षित चेहरे भी थे। किन्तु जल्दी ही यह सिद्ध हो गया कि नायिकाओं के मामले में हमारे दर्शक अभी तक इतने परिपक्व नहीं हुए हैं कि वे उनमें सौंदर्य न तलाश कर अभिनय क्षमता के कायल हों।
आज फ़िर कैटरीना, दीपिका, आलिया, श्रद्धा और तापसी का बोलबाला है।