कठिन परिश्रम करते किसान
खेतो में उपाजाते है धन-धान
खेतो को खूब बनाते है
तब जाके धान उपजाते है
कठिन परिश्रम करके ओ
खेती बाड़ी में लग जाते
खेतो में पसीना बहॉते है
खुद रूखी शुखी खाते है
अपने तो धरती पे सोते
देश को स्वर्ग बनाते है
हम सबको अन्न खिलाते है
खुद भूखे सो जाते है
उनकी परिश्रम का फल उनको न मिल पाता है
लेकिन सबको खिलाते है और जीना शिखलाते है
उनके अहसानो का बदले
हम उनको क्या दे पाते है
अपने (बच्चे) को कान्वेंट में पढ़ाते
उनके को धिक्कार लगाते है
गरीब-गरीब चिल्लाते है
और खूब मजे उड़ाते है
धिक्कार-धिक्कार के कहते है
तुम सब छोटे नाते हो
जब की हम ये भूल जाते
रोटी वाही खिलाते है
उनको हम मुर्ख बनाते
फिर जाकर धन कमाते है
जिसकी कीमत कम लगाकर
उनसे अन्न ले जाते है
उसी अन्न को अपना नाम दे
उनका नाम डुबाते है
ब्रांड-ब्रांड चिल्लाते है
खूब पैसे बनाते है
कहते है ये हाइब्रिड है
इसको अगर लजाओगे
खूब फसल होगी और ज्यादा पैसे कमाओगे
कितने हम मुर्ख बनाते है
ओ बेचारे बन जाते है
ओ बेचारे भोले है
यह कहकर ले जाते है
श्रीमानजी तो पढ़े लिखे है
कुछ भी न गलत हो पायेगा
पढ़-लिखकर ये देश के भविष्य बने है
सब देश के काम आएगा
अनपढ़ होकर देश के लिए
अपनी जिंदगी कुर्बान किये
पढ़ लिखकर बड़े होगये
उनके अहसानो को तार-2 किये हम
अबतक चला ये बहुत चला ये
अब ना इसको चलाना है
किसानो के मेनहत का फल
अब हमें उनको दिलाना है
आज अभी इसी वक्त से
प्रण हम सब को खाना है
कभी कही किसी किसान को
ना अब हमें सताना है
उनके मेनहत का फल
अब हमें उनको दिलाना है
अपना गांव है अपना देश है
अपने सारे नाते है
किसान भी है अपने भाई
अबसे यही सन्देश है
पग-पग साथ बढ़ाना है
सबको साथ मिलाना है
कोई न भूखो मर पायेगा
अब हमें साथ होजाना है
किसानो के बच्चों को अब हम कान्वेंट में पढ़ाएंगे
उनके परिश्रम का फल अब हम उनको दिलवायेंगे
ये उनका अधिकार है अब हम साथ निभाएंगे
पग-पग साथ बढ़ाएंगे और देश को आगे बढ़ाएंगे।।
Regards
Durgesh Tiwari