#KAVYOTSAV
:-तमाशा
जब जब एहसास जागते है
उठा लेता हूँ कलम
दिल की हर बात लिखकर
दिल हलका कर लेता हूँ!
आखिर मैं भी तो उसी भीड़ का हिस्सा हूँ
जो तमाशा देख कर तालियाँ बजाती है!!
देखा है मैंने भी
कूड़े के ढेर में खाना ढूँढ़ते बचपन को
मेरी गाड़ी भी शीशा चढ़ा के वही से गुज़र जाती है!
आखिर मैं भी तो उसी भीड़ का हिस्सा हूँ
जो तमाशा देख कर तालियाँ बजाती है!!
रास्ते पर भीख माँगता बुढ़ापा
खुद को अभिशाप लगता है
मेरी आत्मा कुछ पैसे दे कर
अपना कर्तव्य निभा जाती है!
आखिर मैं भी तो उसी भीड़ का हिस्सा हूँ
जो तमाशा देख कर तालियाँ बजाती है!!
दहेज की खातीर जला दी जाती है नारियाँ
बुरा हमे भी लगता है
दिल मेरा भी दुखता है!
पर सब भूल जाता हूँ
जब दहेज में हमे भी गाड़ियाँ मील जाती है!
आखिर मैं भी तो उसी भीड़ का हिस्सा हूँ
जो तमाशा देख कर तालियाँ बजाती है!!
तमाशा देख कर सब भूल जाते है
तालियाँ बजा कर सब निकल जाते है!
फ़िर निकल पड़ते है नया तमाशा देख ने!!