#kavyotsaw
शिव स्तुति
●●●●
अकाल काल सर्पमाल त्वम शिवा नमस्तुते
शिवा शिवा शिवा शिवा शिवा नमो नमस्तुते
कराल काल जटा जाल जूट उच्च उन्नते
विशाल भाल दीर्घ रुप चंद्र मस्तके सजे
वाघम्बरा दिगम्बरा मशान राख तन मले
भुजंग ब्याल साँप नाग उरग लपेटे गले
अकाल काल सर्पमाल त्वम शिवा नमस्तुते
शिवा शिवा शिवा शिवा शिवा नमो नमस्तुते
त्रिशूल शूल हस्त में पिनाक हाथ में लिये
डमरुआ त्रिशुल पर भुजंग गांठ से बंधे
कराल कालकूट नीलकंठ बन गटक लिये
जटा जाल जूट नित्य गंगजल धुला रहे
अकाल काल सर्पमाला त्वम शिवा नमस्तुते
शिवा शिवा शिवा शिवा शिवा नमो नमस्तुते
बेताल भूत प्रेत संग नटराज नाच नाचते
डमरुआ मृदंग झांझ घण्ट शंख बाजते
अघोर घोर शोर नाद स्वर निनाद नादते
उमंग अंग-अंग राग-रागिनी प्रवाहिते
अकाल काल सर्पमाल त्वम शिवा नमस्तुते
शिवा शिवा शिवा शिवा शिवा नमो नमस्तुते
अशोक शोक नाशनं अधर्म पाप नाशनं
जन्म मृत्यु मोह मोद कोप शाप नाशनं
सुन शिवा आराध्य प्राणनाथ दुख दारुणं
कर शोक नाश भक्त योगी रामानन्दनं
अकाल काल सर्पमाल त्वम शिवा नमस्तुते
शिवा शिवा शिवा शिवा शिवा नमो नमस्तुते
मशान राख भष्म अंग-अंग भभूत गंध हैं
अरूप काल रूप भेष भूष अण्ड बण्ड है
अचिर चिर ध्यान साधना में मन मलंग हैं
तपस्वियों की भांति तीन नेत्र हुये बंद है
अकाल काल सर्पमाल त्वम शिवा नमस्तुते
शिवा शिवा शिवा शिवा शिवा नमो नमस्तुते
आनन्द नन्दी बैल हैं सानन्द हिम शैल है
कैलाश का हृदय देख-देख गया फैल है
गंधर्व देव यक्ष नर शिव साधना में येल हैं
वैराग भाव बह गये गोवत्स नंदी बैल है
अकाल काल सर्पमाला त्वम शिवा नमस्तुते
शिवा शिवा शिवा शिवा शिवा नमो नमस्तुते
त्रिनेत्र नेत्र काल के सुनेत्र से निर्पेक्ष से
सचेत चेत से सदा अकाल काल लेख से
समान रूप पूज्य है अघोर घोर पंथ के
सदाशिवा सतो रजो तमो गुणी नमस्तुते
अकाल काल सर्पमाल त्वम शिवा नमस्तुते
शिवा शिवा शिवा शिवा शिवा नमो नमस्तुते
आकंठ कालकूट पर स्वर सदा माधुर्य है
हिम सम हृदय परन्तु भाल चन्द्र सूर्य है
समान रूप मानते शिव अजीव जीव को
इसीलिए तो सभी पुजते महान शिव को
अकाल काल सर्पमाल त्वम शिवा नमस्तुते
शिवा शिवा शिवा शिवा शिवा नमो नमस्तुते
योगी योगेंद्र