#kavyotsav
राष्ट्रीय काव्य लेखन प्रतियोगिता - 2018
कविता -
याद...
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नज़रें झुकाकर
हथेलियों से चेहरा छुपाना।
दुपट्टे का कोना मुँह में दबा
हर प्यारी बात पर
' धत् ' कहते हुए
बाँकी अदा से
तुम्हारा बार-बार शरमाना
है याद।
अपनी सारी बातें कहना
मेरी कुछ बातें सुनना।
बाहों-में-बाहें डाल
दीन-दुनिया से बेखबर
सपनों की गलियों में विचरना।
और -
शाम के साये में
सागर तट पर -
विस्तृत नीले नभ को
सागर के आगोश में समाते देख
मेरे काँधे से तुम्हारा सर टिकाना
है याद !
- विजयानंद विजय
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