जब जुबान खामोश हो जाती है तब
वो लफ़्ज़ों की बरसात करता है ,
क्योंकि वो आईना है ।
जब रचते है खेल जुठ छुपाने का तब
वो हकीकत बया करता है ,
क्योकि वो आईना है ।
जब बहाते आंसूओ की धाराऐ उसीके सामने तब
वो हमसफ़र बन के दर्द बाट देता है ,
क्योकि वो आईना है ।
जब रखते है खूबसूरती हमारी उसीके सामने तब
वो अलग पहचान रख देता है ,
क्योकि वो आईना है ।
जब खो जाते है हम खुदमे तब
वो हमारी पहचान कराता है ,
क्योंकि वो आईना है ।.