जय श्रीकृष्णकर ऐसी इनायत गोविन्द तेरा शुक्र मनाना आ जाये,
हम इन्सां हैं हमें इन्सानों की तरह प्यार निभाना आ जाये।
तेरे कदम हमारी चौखट हैं, हम गिरते रहे तेरे कदमों में,
पर ऐसी शक्ति दे हमें गिरतों को उठाना आ जाये।
मुझे ये न मिला मुझे वो न मिला ये दिल ऐसे ही रोता है,
तेरा प्यार ही मेरी दौलत हो ये दिल को समझाना आ जाये।
ये तन मन धन तेरा मुझे फिर क्या चिंता,
हम तेरे आशिक हैं प्यारे हमें प्यार निभाना आ जाये।
वो मस्त तुझी में रहते हैं जो तेरे आशिक होते हैं,
हम तेरे आशिक बन जायें और सर को झुकाना आ जाये।