डिजिटल रावण दहन
देवियो, सज्जनों, असुरों और असुरणीयों,
आज दशहरा है—
जहाँ रावण जलाने से पहले
लोग सबसे पहले सेल्फी जलाएँगे।
कौन राम है कौन रावण?
ये अब DNA रिपोर्ट से नहीं,
ट्रेंडिंग हैशटैग से तय होगा।
राम वही होगा
जिसके पास फॉलोअर्स की सेना होगी,
और रावण वही—
जो आपकी पोस्ट पर डिसलाइक ठोक देगा।
आज सब मिलकर बुराई को मारेंगे—
फोटोशूट करके,
रील बनाकर,
"जय श्रीराम" कैप्शन डालकर,
और शाम तक
बुराई को "आर्काइव" कर देंगे।
पर सच कहूँ तो,
कल सुबह वही राम
किसी ठेके, किसी चुनावी वादे,
या किसी इन्बॉक्स चैट में
रावण की तरह प्रकट होंगे।
राम बने लोग
भीड़ के सामने रावण को जलाएँगे,
फिर भीड़ के पीछे
रावण की दस-दस सिरों वाली
भ्रष्ट डील, झूठ और लालसा
खुद अपने हाथों से सींचेंगे।
यहाँ हर कोई नायक है,
बस मंच बदलता रहता है—
फेसबुक पर राम,
ऑफिस में रावण,
और घर की चारदीवारी में
शायद मेघनाद तक।
आख़िरकार—
रावण अब पुतले में नहीं बसता,
वह हमारे भीतर
बायोडाटा बनाकर बैठा है,
और हम हर साल
उसे जला-जला कर
और मज़बूत करते रहते हैं।
आर्यमौलिक