चौदह सितम्बर( हिन्दी के लिए):
पुष्प सी डाल पर लगी
खिली,सुवासित हूँ,
मैं भारत भूमि में
उगी-पली- सुरभित भारत की आवाज हूँ।
मैं राष्ट्र के लिए अमर
कण्ठ में बैठी,
होंठों पर लौटी
हिमालय से निकली हूँ।
चुनाव की वीणा हूँ
बजती सुरीली हूँ,
मैं लोकतंत्र में जीती हूँ
लोगों से बात करती हूँ।
लावण्य मेरा देख लो
शिशुकाल माँ सा पकड़ लो,
धूप सी मैं बिछी हूँ
श्रवण करके देख लो।
यह भी सच है-
मैं हिन्दी बोलता हूँ
पर अंग्रेजी लिखता हूँ,
मैं भारतवर्ष कहता हूँ
पर इंडिया लिखता हूँ।
*** महेश रौतेला