#बातों बातों में बोल दिया कि "i don't believe in friendship but I believe in feelings" पता हें तब मुजे समाने बेठे इंसान ने क्या कहा......
अगर आप दोस्ती पर भरोसा नहीं करते हैं, तो जिन लोगों के साथ आप रहते हो काम करते हो, जिनके साथ हसते हो अपनी सारी बाते बताते हो, वो सारे लोग आपके लिए कौन है? अगर उन सबको आप अपना दोस्त नहीं मानते तो क्या आप उनके साथ time Paas करते हो? और में चुप हो गई, इसलिये नहीं की मेने कुछ गलत बोल दिया ब्लकि इसलिये की मे उन्हें अपनी बात नहीं समझा पाती। मे कुछ भी कहती वो मेरी बात नहीं समझते। ।
पहले लगता कि दोस्त सबकुछ होता है। पर वक़्त के साथ इस बात का एहसास हुआ कि ऐसा कुछ होता ही नहीं है। सारा कुछ है वो feeling से है और feeling से खत्म।
में किसीको यह नहीं कहती की मेरे मन मे तुम्हारे लिए feeling है, इसलिये तुम मेरे दोस्त हुऐ।
कभी नहीं.....
सच्ची.... मुजे लगता है कि दोस्ती जेसा कुछ होता ही नहीं है। यह सारा जो मसला है वो feeling का है। जिसे लोगों ने एक नाम दिया है।
आसान तरीके से कहें तो, हम किसीको यह नहीं कह सकते कि "मेरे मन मे तुम्हारे लिए felling है" और अगर feeling है तो वो क्या है? यह बात समझाना मुस्किल है इसलिए उसे एक नाम दे दिया। "दोस्त"
आप लोगों का इस बारे मे क्या कहना है बताएगा जरूर।।