ओ मेरे हौसले..
चल तू चल मेरे संग संग तू चल,
मेरी मंजिल तक तू चल संग मेरे।
ओ मेरे हौसले चल तू संग यु मेरे...
रास्ते ना सीधे है जिंदगी कहीं ये,
ख्वाब है मेरे बड़े बड़े आसमान जैसे।
पहाड़ों से उतर कर जाना है नदियो जैसे।
सपनोको साथ लेकर जाना सुके रणमे...
हरियाली बनानी सुकी रेत में मुझे।
चल तू चल मेरे संग संग तू चल,
मेरी मंजिल तक तू चल संग मेरे।
ओ मेरे हौसले चल तू संग यु मेरे...
फिसल कर गिरु में अगर या बिखरू में,
पर तू ना खोना मुजमे कहीं समा जाना।
पत्थर जैसा बनाके दिल को मेरे में..
गैरों से सही अपनो से भी लड़ना मुझे,
अपने सपनों के खातिर आसुसे रोना मुझे।
उम्मीद बन कर मुझसे लिपट जाना तू.....
चल तू चल मेरे संग संग तू चल,
मेरी मंजिल तक तू चल संग मेरे।
ओ मेरे हौसले चल तू संग यु मेरे...
कपिला पढ़ियार, कल्पी