आधा सच......
मिलके तुमसे जन्नत मैंने पा ली,
लगा जैसे हर ख्वाहिश पूरी हो गई ......
पहली बार कोई अपना लगा था ,
जिसके लिए दिल में कुछ अरमा जगा था ........
हर राज खोलकर मैंने तेरे सामने रखा था ,
तेरी सुरत में जैसे मुझे रब दिखा था......
तेरे साथ जिंदगी जीने लगी थी,
पाकर तुझे खुदको खोने लगी थी.......
साथ तेरे ख्वाबों के आसमां छू रही थी,
सारी दुनिया से में बेगानी हो रही थी ......
प्यार में तेरी ऐसी ऐंठी मै,
जो ना कहा वो भी मान बैठी मैं.......
मैने तुझे चाहा ये आधा ही सच था ,
तू भी चाहता है मुझे ये तूने कहा ही कब था .......