ना बंधन है ,ना फेरे है ,
ना पास है, ना पाने कि आस है,
ना अकेले हैं,ना साथ है ,
ना मोह है ,ना भ्रम है ,
ना समय का भान है ,
ना समाज का भय है ,
बस एक एहसास है कृष्ण ।
जिसमें हम तुम्हारे हैं कृष्ण।
वहीं प्रीतहै,वहीं रीत है ,
राधा संग कृष्ण है।
यही प्रीत अनन्त है।
Vyas धरा