यादगार हो तुम,
नदी की तरह नहीं,
पहाड़ की तरह नहीं,
आसमान की तरह नहीं,
बादल की तरह नहीं,
बस, स्नेह की तरह ।
यादगार हैं शब्द,
कंकड़ों तरह नहीं,
पत्थरों तरह नहीं,
काँटों की तरह नहीं,
फूलों की तरह नहीं,
बस, प्यार की तरह ।
यादगार है साथ,
घर की तरह नहीं,
राह की तरह नहीं,
खेल की तरह नहीं,
समय की तरह नहीं,
काम की तरह नहीं,
बस, प्रेम की तरह ।
यादगार हो तुम,
युद्ध की तरह नहीं,
संधियों की तरह नहीं,
समझौतों की तरह नहीं,
योद्धा की तरह नहीं,
सत्य की तरह नहीं,
बस, प्यार की तरह ।
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** महेश रौतेला
२०१३