रामायण भाग - 25
**************'***
लंका दहन (दोहा - छंद)
********************
रावन बोला कौन तुम, आए हो किस काम।
वेश लगे कपि सा मुझे, बोलो क्या है नाम।।
राम काज करता सदा, राम दास हूँ जान।
सीता माँ को मुक्त कर , पाएगा सम्मान।।
बीच सभा में कर खड़ा, जला पूंछ में आग।
बोले इसको छोड़ दो, खुद जाएगा भाग।।
आग लगी जब पूंछ में, हनु ने किया धमाल।
पूंछ घुमाई जोर से, हनु ने किया कमाल।।
सारी लंका तब जला, लौट गए हनुमान।
राम भक्त ने रख लिया , हरि इच्छा का मान।।
Uma vaishnav
मौलिक और स्वरचित