नव वर्ष: नवोदय सुत

मेरी माँ के पोर-पोर में पीर है,

दर्द के दरिया में डूबी वह

नयनों में नीर है.

मैंने जब कहा उससे,

माँ! देख नया वर्ष आया है,

दे रहा दस्तक द्वार पर,

आहत स्वर में वह बोली-

पूछ उससे क्या लेकर आया है?

मेरे लिए फिर

पीड़ा तो नहीं लाया है?

वह बोला-

माँ! मैं लेकर आया हूँ

नवोदय...एक नई किरण आशा की,

जगाएगी जो जिजीवषा

उन मुरझाये हृदयों में,

आक्रान्त हैं जो उस कोविड-19 

और ओमीक्रोन से,

छीन लिया है जिसने तेरे अपनों को,

कर दिया है कैद सबको घरों में,

छीन लिया है जिसने बच्चों से स्कूल,

भयाक्रांत कर छीन लिया है जिसने

रोजगार मज़दूरों से, कारीगरों से,

डाल दिया है सबके जीवन को

संकट में जिसने.

माँ! मैं लेकर आया हूँ एक ऐसा टीका,

जो लगाऊंगा जन-जन को,

करूंगा शंखनाद जागरण का,

और भगाऊँगा इसे सदा-सदा के लिए

बचाऊँगा तेरे सुतों को,

नहीं करने दूंगा अब इन्हें

पर्यावरण को अशुद्ध.

हर लूंगा तेरी हर पीर

पौंछ ले तू नयनों का नीर.

आश्वस्त हो माँ बोली-

अच्छा है तू आ गया,

समय से ले आया मेरी

व्याधि की औषधि

फूंक दे बेटा!

यह जागरण का शंख

जन जन जागे

मेरी यह पीर भागे.

मैं आहत हूँ, पर

अब आश्वस्त हूँ

ले आएगा तू जाग्रति,

आ जाएगी जिससे

स्वास्थ्य-क्रान्ति/ ॐ शांति ॐ शांति..

नववर्ष का करें स्वागत

सम्मानीय है हर आगत. 

©- मंजु महिमा-

Hindi Good Morning by Manju Mahima : 111774505
Manju Mahima 2 year ago

हार्दिक धन्यवाद🙏💕

Manju Mahima 2 year ago

धन्यवाद🙏💕

shekhar kharadi Idriya 2 year ago

अत्यंत मार्मिक चित्रण तथा अति सुन्दर प्रस्तुति..

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