हर एक इम्तिहान से गुज़रते चले;
जीवन की राह में बिखरते चले;
समेट कर रख दिए है हर आंसु,
जो आंख से हमारे सरकते चले;
नहीं हुई पूरी ख्वाहिश आज भी,
चाहे कितने भी सितारे तूटते चले;
कहाँ पहुंचेगा यह गम-ए-कारवां,
अब हर मोड़ पे हम भटकते चले;
जरुरत नहीं मयखाने की साकी,
गम के नशे में हम बहकते चले;
कोई इल्ज़ाम मुझ पर न लगाना
यहां हम खुद ही संभलते चले;
"व्योम" जरा संभल कर रहना,
कदम कदम पे रिश्ते बदलते चले;
...© વિનોદ.મો.સોલંકી"વ્યોમ"
GETCO (GEB)
મુ. આદિપુર