मैंने अपनों को खोया है
कह रहे श्रीकृष्ण गांधारी से,
नाम किसी ने नहीं खोया
केवल देह यहाँ की त्यागी है।

तू अपना ही दुख देख मनुज
कह रहे श्रीकृष्ण महाभारत में,
हार-जीत कहीं नहीं
तू धर्म पर चल कर देख यहीं।

कर सके तो कर कर्म बड़ा
कह रहे श्रीकृष्ण गीता में,
सब कुछ तो अजर-अमर है
तू कर सके न्याय तो कर यहाँ।

*महेश रौतेला

२५.१०.२०

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111759406
shekhar kharadi Idriya 3 year ago

अति सुन्दर..

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