जब तक आप अपने दुःख और ग़म के साथ समय बिताते रहोगे और सिर्फ उसके साथ ही जीते रहोगे तब तक आप को यहीं लगेगा की इस दुनिया में सब से ज्यादा दुःखी इंसान में ही हूँ।
पर जब आप दूसरों की ज़िन्दगी को बारीकी से देखोगे, उनको सुनोगे, या सिर्फ समझने की भी कोशिश करोगे तब पता चलेगा.. की, दुनिया में कितना ग़म है मेरा ग़म कितना कम है।
और अगर आप किसी का ग़म कम करना चाहते हो तो पहले ख़ुद का ग़म कम करो, क्योंकि जो ख़ुद ज़ख़्मी हो वो दूसरों के ज़ख्मो को क्या भर सकेगा?
vasim