मैं निकला बाहर
ढूंढने
अपना चुंबक

भटका
यहां वहां
गली
सड़क
बाग
जंगल
पहाड़
नदी
समन्दर
आकाश

सभी
खींचते रहे
मुझे अपनी अपनी ओर
मैं खोता गया इनमें
और
मुझमें भर आए
कुछ रास्ते, धूल कुछ
कुछ पेड़, फूल कुछ
कुछ पानी, लहरें कुछ
कुछ हवा, सितारे कुछ
और अब नहीं जाता
बाहर मैं इन्हें ढूंढने
सभी ने मेरे ' घर ' में
बसेरा कर लिया है ...

:- भुवन पांडे





#चुंबक

Hindi Poem by Bhuwan Pande : 111544457
Ketan Vyas 4 year ago

👌🏾👌🏻👌🏽👌 nice.. interesting 👌 👉 for your precious LiKe..... My link 👇🏿👇🏿👇🏿👇🏿👇🏿 https://quotes.matrubharti.com/111543715 👆🏿👆🏿👆🏿👆🏿👆🏿👆🏿

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now