वो रोज़ की दुआ सलाम
कुछ दिनों से कम हो गई हैं
गूंजती थी गलियां ठहाकों से
वहीं कुछ आंखे नम हो गई हैं
माना कि लगातार हम सबकी
परेशानियां बढ़ रही हैं
ये महामारी नित दिन नए
कीर्तिमान गढ़ रही है
किन्तु इन मुश्किलों में भी
जो दे रहे अपने काम को बखूबी अंजाम
ऐसे कर्मवीर, साहसियों को
हमारी ओर से एक सलाम 👍👍
#सलाम
-Satish Malviya