# नम आंखे #। #कविता

"मेरी जिंदगी ,मेरे गम है ,
खुशी भी मेरी प्यार भी संग है
इतना सब होते हुए भी,
ना जाने क्यों आंखें नम है।


सोचता हूं वीराने में ,घर के एक गलियारे में,
सांसे मेरी ,धड़कन मेरी
जीने की हर चाहत भी मेरी,
फिर ना जाने क्यों मौत का भ्रम है, ना जाने क्यों आंखें नम है।



सोचकर इन सब बातों को, मैं खुद में मरता जा रहा हूं।
जान कर भी मैं सब को, अनजान बनता जा रहा हूं।
ना जाने क्यों ,क्यों आंखें नम मै करता जा रहा हूं।।

Hindi Poem by Sunil Nayak : 111468322
Brijmohan Rana 4 year ago

बेहतरीन ही बेहतरीन

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