तिनका तिनका बीनती,
तब बन पाता #घोंसला
कभी उड़ाती आँधी उसको,
कभी भिगोती बरसातें।
लेकिन नन्ही गौरैया,
नहीं कभी जग हारती।।
जो गिर जाता, नया बनाती,
भीगे को कुछ धूप दिखाती,
मोह बनाती, नेह सजाती,
पर नहीं कभी आसक्ति दिखाती।।
नव रचना का कर्म पूर्ण कर,
छोड़ #घोसला फिर उड़ जाती,
आसक्तिहीन स्नेह ही सुंदर,
सहज भाव से कह जाती।।

Hindi Poem by Meenakshi Dikshit : 111453733
Meenakshi Dikshit 4 year ago

धन्यवाद 🙏🙏

Shree 4 year ago

Bahut hi pyari kavita hai

shekhar kharadi Idriya 4 year ago

अत्यंत सुंदर..

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