दश्त में दौड़ती आहों की तरह होता है

इश्क़ आगाज़ में खुशबू की तरह होता है

जिस पे चलता है उसे मार के रख देता है

हुस्न का वार भी जादू की तरह होता है

दिन के औ क़ात में नेमत है तेरा ध्यान मुझे

रात पड़ती है तो जुगनू की तरह होता है

इन निगाहों में कभी डूब के देखा जाए

जिन का हर तीर तराज़ू की तरह होता है

अश्क़ पीते हुए याद आया तेरा लम्स मुझे

उसका भी ज़ायक़ा आंसू की तरह होता है।

Hindi Shayri by Junaid Chaudhary : 111299220

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